इतिहास रियासत काल में डिग्गी खंगारोत कछवाहों का प्रमुख संस्थान रहा है. इस वंश में हरीसिंह खंगारोत प्रसिद्ध नायक हुए जो आमेर राज्य के स्तम्भ थे. इन हरी सिंह ने निकटवर्ती लाम्बा को अपना संस्थान बनाया जो उनके नाम से आज 'लाम्बा हरिसिंह' है. हरी सिंह मिर्जा राजा जयसिंह और बाद में राजाराम सिंह प्रथम की सेवा में रहे थे. वे राजाराम सिंह के साथ काबुल अभियान में गए. राजा रामसिंह की मृत्यु (अगस्त 1869) के बाद उनके पौत्र बिशन सिंह गद्दी पर बैठे. हरिसिंह उनके संरक्षक नियुक्त हुए. औरंगजेब ने बिशन सिंह को मथुरा व निकटवर्ती जाटों का उपद्रव शांत करने का काम सौंपा. हरी सिंह प्रधान सेनापति के रूप में जाटों से लड़ते हुए जवार की गढ़ी की लड़ाई में वीरगति प्राप्त हुए|